वसंतोत्सव।
यानि की मै सरस्वती स्वरूप हूँ !
अपने जीवन का संगीत वाद्य अपने हाथ मे लेकर
हर मुश्किल परिस्थिति का सामना और अपने विवेक बुद्धि से अपने जीवन का फैसला खुद करना ही सही मायने मे बसंतोत्सव है!
विवेक पूर्ण निर्णय लेकर समाधान करने की क्षमता को विकसित कर सत्यमार्ग मे चलते चले जाना चाहे कोई साथ चले न चले
अपना भाग्यविधाता स्वयं बनना है!अपना सम्बल भी स्वँय बने , दृढ़ इच्छाशक्ति ,सतत प्रयास, ईमानदारी और लगन से अपने मुकाम खुद गढे़ और शून्य से शिखर तक पहुंचे महिला सशक्तिकरण की नयी परिभाषा गढे़ हुनरमंद बने, आत्मनिर्भर बने,